कब से है शारदीय नवरात्रि 2020? जानिए घटस्थापना मुहूर्त
इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टोबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक हैं. 25 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा (विजयदशमी ओर दशहरा) मनाया जाएगा.
Healing properties of garnet and it’s usage
Garnet is also known as a stone of passion, love, and sensuality. It is associated with devotion, loyalty, and fidelity and is a stone that helps strengthen commitments. Use it to stabilize your relationships.
नाड़ी दोष एवं परिहार!
गुण मिलान करते समय यदि वर और वधू की नाड़ी अलग-अलग हो तो उन्हें नाड़ी मिलान के 8 में से 8 अंक प्राप्त होते हैं, जैसे कि वर की आदि नाड़ी तथा वधू की नाड़ी मध्य अथवा अंत। किन्तु यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही हो तो उन्हें नाड़ी मिलान के 8 में […]
रेकी से लाभ | Benefits of REIKI in Hindi
रेकी सिर्फ शारीरिक नहीं, भावनात्मक उपचार भी है। रेकी का एक सबसे बड़ा प्रभाव ये है कि ये आपकी प्यार करने की क्षमता बढ़ाती है, इससे आप लोगों के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं।
पितृपक्ष प्रारंभ विशेष २०२०
आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं
श्राध या पितृपक्ष के नियम ?
श्राद्ध में चांदी की महिमापितरों के निमित्त यदि चांदी से बने हुए या मढ़े हुए पात्रों द्वारा श्रद्धापूर्वक जलमात्र भी प्रदान कर दिया जाए तो वह अक्षय तृप्तिकारक होता है। इसी प्रकार पितरों के लिए अर्घ्य ओर भोजन के पात्र भी चांदी के प्रशस्त माने गए है चूँकि चांदी शिवजी के नेत्रों से उद्भूत हुई […]
Dakshinavarti Shankh – Benefits, Usage and importance
Dakshinavarti shankh symbolises Goddess Laxmi and therefore is a symbol for fame and success. Worshipping this shankh makes a person’s life rich and prosperous. It brings success in business.
Why we immerse idol in water
Instead of consecrating an Idol, place a betel nut and worship it symbolically as Shri Ganapati. The betel nut can be immersed in a small well or a stream.
क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को इसे मनाया जाता है। नारद पुराण के अनुसार भगवान शिव ने देवी पार्वती द्वारा उत्पन्न बालक की गर्दन काट दी थी, जिसके बाद माता पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने उस बालक के धड़ में एक हाथी का सिर लगा दिया और इससे भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई थी, तब से ही इस दिन को गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है।