Why Laxmi and Ganesha are Worshipped together on Diwali?
The Ganesha pooja is mandatory along with the Lakshmi pooja during this festival. As the gods of wealth and prosperity, Lord Ganesha and Maa Lakshmi have traditionally been revered by merchants.
De Dana Dan Dhanteras!
Purchasing gold during Dhanteras is said to bring Lord Kuber’s blessings into the home. Also, according to common belief, the items you acquire on this day are worth 13 times more because of the Lord of Wealth’s blessings.
Vastu tips to follow this Diwali 2021
As per the “panchang” (Hindu calendar), Diwali Puja should be performed at the appropriate time. The Muhurats are chosen based on the fixed Lagna, the Pradosh time, and the Amavasya Tithi.
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना महुरत 2021
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के तौर पर भी जाना जाता है।
गुप्त नवरात्रि कब से है? आईये जानते हैं इसकी विशेषता एवं पूजन
गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त रूप से देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को ‘शक्ति’ के रूप में जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के पीछे मुख्य कारण क्या है जानते है आईये, कि देवी की पूजा गुप्त रूप से की जाती है, जो बाकी दुनिया से छिपी होती है। यह मुख्य रूप से साधुओं और तांत्रिकों […]
जानिए नवरात्रि में माँ के किस रूप को कौन सा भोग पसंद है?
शंकरजी की पत्नी एवं नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनंत है. अगर आप बीमारी से परेशान हैं तो इस दिन मां को घी का भोग लगाएं. आपके सारे दुःख ख़त्म होते हैं.
नवरात्र में माँ के स्वरूप के कुछ पूजा एवं नियम
ऐसी मान्यता है कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से माता दुर्गा नौ दिनों के लिए पृथ्वी लोक में वास करती हैं, इसलिए शारदीय नवरात्रि का महत्व बढ़ जाता है।
कब से है शारदीय नवरात्रि 2020? जानिए घटस्थापना मुहूर्त
इस बार शारदीय नवरात्रि 17 अक्टोबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक हैं. 25 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा (विजयदशमी ओर दशहरा) मनाया जाएगा.
पितृपक्ष प्रारंभ विशेष २०२०
आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं