रुद्राक्ष को शिवजी का अश्रु माना जाता है और इसे धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत पवित्र माना जाता है। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आइए जानते हैं रुद्राक्ष धारण करने के चमत्कारिक फायदे:
रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं। इसीलिए रुद्राक्ष ऐसे लोगों के लिए बेहद अच्छा है जिन्हें लगातार यात्रा में होने की वजह से अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ता है। आपने गौर किया होगा कि जब आप कहीं बाहर जाते हैं, तो कुछ जगहों पर तो आपको फौरन नींद आ जाती है, लेकिन कुछ जगहों पर बेहद थके होने के बावजूद आप सो नहीं पाते। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है और इसको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना जाता रहा है।
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष के मनके को बहुत पवित्र माना जाता है। रुद्राक्ष का आध्यात्मिक और ज्योतिष महत्व होता है। रुद्राक्ष को स्वयं भोलेनाथ का स्वरुप माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई थी। रुद्राक्ष पर पड़ी लाइने उसे कई हिस्सों में विभाजित करती हैं, जिससे ये जाना जाता है कि कौन सा रुद्राक्ष कितने मुखी है।1 से लेकर 21 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। रुद्राक्ष पहनने से शारीरिक लाभ के साथ मानसिक लाभ भी मिलते हैं। रुद्राक्ष का उल्लेख पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में भी मिलता है, लेकिन इसे धारण करते समय किसी विशेषज्ञ से उचित सलाह ले लेनी चाहिए। ताकि इससे आपको पूरा लाभ प्राप्त हो सके।
इसकी वजह यह है कि अगर आपके आसपास का माहौल आपकी ऊर्जा के अनुकूल नहीं हुआ तो आपका उस जगह ठहरना मुश्किल हो जाएगा। रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जा के बचने के एक असरदार कवच की तरह काम करता है। कुछ लोग नकारात्मक शक्ति का इस्तेमाल करके दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में, कर्क और मकर संक्रांति के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव, स्वास्थ्य की समस्या, रोजगार की समस्या, घर की समस्या आदि चीजें से फायदा मिलता है।
हर इच्छा की पूर्ति करता है रुद्राक्ष – कहते हैं भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान है। शिव का अर्थ ही कल्याण है तो यह रुद्राक्ष कल्याण के लिए ही धरती पर आया है। इसके अनेक नाम हैं रुद्राक्ष, शिवाक्ष, भूतनाशक, पावन, नीलकंठाक्ष, हराक्ष, शिवप्रिय, तृणमेरु, अमर, पुष्पचामर, रुद्रक, रुद्राक्य, अक्कम, रूद्रचल्लू आदि। रुद्राक्ष वृक्ष और फल दोनों ही पूजनीय हैं। मानव के अनेकों रोग, शोक, बाधा नष्ट करने की शक्ति रुद्राक्ष में है। इसमें चुम्बकीय और विद्युत ऊर्जा से शरीर को रुद्राक्ष का अलग-अलग लाभ होता है।
रुद्राक्ष को लेकर मान्यता है कि इसको धारण करने से कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। वैज्ञानिक परिक्षण में भी यह बात साबित हो चुकी है कि दिल के रोगियों में रुद्राक्ष धारण करने से बहुत फायदा होता है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा होती है। जीवन में सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं।
शिवपुराण के अनुसार जो एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हृदय और नेत्र रोग दूर होता है। इसके अलावा सिर दर्द से भी राहत मिलती है। मन विकार से रहित होता है और भय मुक्त रहता है। साथ ही लक्ष्मी की कृपा होती है।
वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है। रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें।
रुद्राक्ष इस धरती पर अकेली ऐसी वस्तु है जिसको मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यताओँ के मुताबिक रुद्राक्ष की माला में (108+1, 54+1, 27+1) रुद्राक्ष रहते हैं। +1 को सुमेरू माना जाता है, जिसे जाप करते वक्त लांघा नहीं जाता। माला पहनने व जाप करने के लिए करीब रखी जाती है। रुद्राक्ष में वो शक्ति है जो अपने धारक को हर तरह की परेशानी से लड़ने की क्षमता देता है और उनको दूर करता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम-
-रुद्राक्ष को हमेशा अपने पैसे से ही खरीदे क्योंकि दूसरों से पैसों से खरीदा गया रुद्राक्ष आपको फायदा नहीं पहुंचाता है।
-रुद्राक्ष धारण करने के लिए सावन या फिर शिवरात्रि का दिन श्रेष्ठ माना जाता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समपर्पित है, इसलिए आप सोमवार को भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
-किसी ज्योतिष की सलाह से अपनी कुंडली आदि की जांच करवाने के पश्चात ही रुद्राक्ष धार
-करें। इससे आपको पता रहेगा कि यह आपके ऊपर किस तरह का प्रभाव डालेगा।
-रुद्राक्ष को विधिवत् पूजा करने के बाद मंत्रों से अभिमंत्रित करने के बाद ही पहनें।
-रुद्राक्ष बहुत पवित्र होता है। इसे गंदे हाथों से न छुएं।
-रुद्राक्ष धारण किया है तो मांस मदिरा का त्याग कर देना चाहिए।
-अगर आपने कही से ताजा रुद्राक्ष (फल से निकाला गया) लिया है तो पहले उसे तेल में ड़ुबा देना चाहिए।
-रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
-रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को अपना आचरण सही रखना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के स्वास्थ्य फायदे
-ज्योतिष या धार्मिक नहीं बल्कि विज्ञान भी यह मान चुका है कि रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक और शारीरिक लाभ मिलते हैं।
-रुद्राक्ष को हृदय पर धारण करने से यह आपके हृदय की सेहत को फायदा पहुंचाता है।
-हाई बल्डप्रेशर और तनाव को कम करने में भी रुद्राक्ष फायदेमंद है।
-रुद्राक्ष धारण करने से ऊर्जा और शक्ति का अनुभव होता है।
रुद्राक्ष धारण करने के लाभ
-धारण करने से मां महालक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है। जिससे आपको धन लाभ होता है।
-जातक को अपने जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है।
-रुद्राक्ष धारण करने के व्यक्ति के पापकर्म नष्ट हो जाते हैं।
-आपके मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
-ग्रहों के कमजोर स्थिति में होने के कारण व्यक्ति को कभी-कभी अपनी जिंदगी में बहुत सारी परेशानियों का एक के बाद एक सामना करना -पड़ता है। जो लोग ग्रहों से पीड़ित हैं उन्हें रुद्राक्ष पहनने से बहुत लाभ मिलता है। रुद्राक्ष ग्रहों के बुरे प्रभाव से मुक्ति दिलाता है।
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जय महाकाल।।