रुद्राक्ष– नौ मुखी माँ दुर्गा द्वारा शाषित रुद्राक्ष है, नौ मुखी रुद्राक्ष के बारे में पुराणों में जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार नौ मुखी रुद्राक्ष नौ दुर्गा की शक्तियों को अपने अंदर समाहित करता है, माँ दुर्गा या शक्ति रूप के पुजारियों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए, यह रुद्राक्ष सारे पापो से दूर करते हुए हमें भौतिक सुखो की प्राप्ति कराता है और मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करता है।
इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद अगर श्रीयंत्र की पूजा की जाती है तो माँ लक्ष्मी की कृपा जातक को अवश्य ही प्राप्त होती है। नौ मुखी रुद्राक्ष में माँ दुर्गा के नवो रूप का समावेश माना जाता है इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को, सात्विक जीवन जीने की सलाह दी जाती है और उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह इसे अपने शरीर पर धारण करने के बाद मांस, मछली, लहसुन, प्याज, मदिरा आदि का त्याग कर देगा।
भौतिक सुख के साथ-साथ अध्यात्म की गहराईयों को जानने के लिए यह रुद्राक्ष पहन सकते हैं। नौ मुखी रुद्राक्ष राहू से संबंधित है। जिन लोगों की कुंडली में राहू कमजोर स्थिति में है या बुरे प्रभाव दे रहा है, उन्हें इस Rudraksha को पहनने से बहुत लाभ होता है।
यह रुद्राक्ष नौ कौली नाग (नौ कोबरा) से संबंधित है। जो व्यक्ति उचित सिद्धि (मंत्र के साथ शुद्धिकरण और चार्ज करने की विधि) के बाद इस रुद्राक्ष को पहनता है, उसे सफलता के मार्ग में उसके लिए सभी मोर्चों को खोल दिया जाता है। यह रुद्राक्ष नौ शक्तियों का है और इसमें नौ नाग (सर्प, कोबरा) भी निवास करते हैं। यह सर्प दंश को ठीक करता है, इस इलाज के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष को तांबे के बर्तन में भरे पानी में डुबोया जाता है। ऐसे रोगी को दिया जाने वाला पानी निश्चित रूप से मृत्यु से बचा लेता है।
यह रुद्राक्ष हर पाप को दूर करता है और इस रुद्राक्ष के पहनने वाले के शरीर में नई देवी शक्तियों का निर्माण करता है। इस रुद्राक्ष के पहनने वाले पर किसी भी बुराई का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता है। इस रुद्राक्ष को हर काम के लिए बहुत शुभ माना जाता है। 9 मुखी रुद्राक्ष शरीर की नौ इंद्रियों को नियंत्रित करता है। यह रुद्राक्ष सभी पापों को दूर करता है और सभी सुख और आनंद प्रदान करता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष देवी दुर्गा (शक्ति) का रूप है। इसमें नौ देवताओं की शक्ति समाहित है। नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य को दुर्गा शक्ति, सर्वोच्च माता का आशीर्वाद मिलता है। इसके द्वारा पहनने वाले को धीरज, बहादुरी, साहस मिलता है और उसका नाम और प्रसिद्धि सभी दौर में फैल जाती है। ईश्वर में उसकी भक्ति बढ़ती है। उसकी इच्छा शक्ति मजबूत होती है।
यह रुद्राक्ष काल सर्प योग प्रभाव को दूर करता है। यह भगवान दत्त त्रेया महाराज ने कहा है। जिस व्यक्ति को बहुत अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है या अशुभ महसूस करता है उसे 9 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यह लक कारक को खोलता है।
9 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे – Nau mukhi rudraksha benefits in hindi
- यह मस्तिष्क में स्थित सहस्र चक्र से संबंधित है जो कि संसार के साथ हमारा संबंध स्थापित करता है।
- बुरी शक्तियों और प्रेत आत्माओं से रक्षा करता है।
- शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी इस Rudraksha को पहना जाता है। अगर आपके शत्रुओं की संख्या बढ़ गई है तो आपको ये रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
- मां दुर्गा की कृपा पाने और चिंताओं को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को पहन सकते हैं।
- साहस, ताकत, नाम और पैसा कमाने में 9 Mukhi rudraksha मदद करता है।
- यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को नियंत्रित करता है।
- चक्कर आना, त्वचा विकारों या किसी तरह के फोबिया से ग्रस्त लोगों को 9 Mukhi rudraksha धारण करने से फायदा होता है।
- नौ मुखी रुद्राक्ष देवी महा दुर्गा का प्रकटीकरण है और यह उनके पहनने वाले को किसी भी चीज और हर चीज से बचाता है जो उसके लिए हानिकारक है।
- यह रुद्राक्ष रोगी को विकसित करने में मदद करता है, अनावश्यक क्रोध को नियंत्रित करता है और निर्भीकता की भावना प्रदान करता है। पहनने वाले को धीरज, बहादुरी, साहस और अपने नाम और प्रसिद्धि के साथ उपहार मिलता है।
- ऐसा कहा जाता है कि भगवान भैरव भी इस रुद्राक्ष को आशीर्वाद देते हैं और पहनने वाले को “यम” यानी मृत्यु के भगवान से अधिक डर नहीं लगता है।
- केतु के हानिकारक प्रभावों को इस मनके द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो राहु और शनि के समान हैं। यह एक की शब्दावली शक्ति को बढ़ाकर विदेशी भाषाओं पर महारत और अच्छी कमांड प्राप्त करने में भी मदद करता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष महत्त्व:
-नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले को कभी भी भूत, प्रेतों और बुरी आत्माओ कि दिक्कत नहीं होती है।
-नौ मुखी रुद्राक्ष में माँ दुर्गा कि शक्तिया समाहित है इसलिए यह रुद्राक्ष धारक को हर प्रकार के दुश्मनो पर विजय प्राप्त कराता है।
-नौ मुखी रुद्राक्ष धारक को माँ दुर्गा का कृपा पात्र बनता है और उसके पापो और परेशानियो का शमन करता है।
-राहु के बुरे प्रभावों को काम करता है।
-जिस मनुष्य के सामने लगातार चुनौतियां आती रहती हो या जिसका भाग्य साथ ना देता हो उसे इस रुद्राक्ष को धारण करने से अत्यधिक लाभ कि प्राप्ति होती है।
-नौ मुखी रुद्राक्ष धारक को माँ दुर्गा की कृपा का पात्र बनाता है।
-इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को माँ दुर्गा की कृपा से बहादुरी, साहस, धीरज, नाम और प्रसिद्धि प्राप्त होती है ।
-यह रुद्राक्ष धारक को सकारात्मक, गतिशील और निडर बनाता है।
-ऐसा माना जाता है की अगर इस रुद्राक्ष को ताम्बे के बर्तन में डुबो कर सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को वो जल पीला दिया जाए तो जहर का असर समाप्त हो जाता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष के स्वास्थ्य को लाभ
- प्राचीन वैदिक ग्रंथों के अनुसार, एक 9 मुखी रुद्राक्ष मस्तिष्क, फेफड़े, स्तन, यौन अंगों, गर्भपात, गर्भधारण की समस्याओं, मिर्गी, आंखों की समस्याओं के उपचार के लिए बेहद प्रभावी है।
- यह रुद्राक्ष फेफड़े, बुखार, आंखों में दर्द, आंतों में दर्द, त्वचा रोग, बदन दर्द, आदि के रोगों को ठीक करने में बहुत उपयोगी माना जाता है।
- यह रुद्राक्ष दिमाग और स्नायु तंत्र की परेशानियों को दूर करता है।
- २. नसों की परेशानियों को दूर करता है।
- ३. मनोवैज्ञानिक विकार जैसे भय, भ्रम और चिंताएं दूर करता है।
किसे पहनना चाहिए 9 मुखी
अज्ञात, शारीरिक कमजोरी, एकाग्रता की कमी और अवसाद के डर से पीड़ित लोगों को 9 मुखी रुद्राक्ष जरूर पहनना चाहिए। यह रुद्राक्ष महिलाओं के लिए अत्यधिक अनुशंसित है क्योंकि यह उन्हें देवी दुर्गा की सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही उन सभी लोगों के लिए जिनकी कुंडली में केतु ग्रह खराब फल दे रहा है उन्हें भी इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
9 मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह
इस मनके द्वारा केतु के बुरे प्रभावों को नियंत्रित किया जाता है। केतु के प्रभाव मंगल ग्रह के समान हैं और इसमें फेफड़े, बुखार, आंखों में दर्द, आंत्र दर्द, त्वचा रोग, शरीर में दर्द आदि के रोग शामिल हैं। यह विदेशी भाषाओं में महारत हासिल करने और शब्दावली बढ़ाने में भी मदद करता है।
राशि विशेष:
देवी की उपासना करने वाले सभी जातकों को नौ मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
नौ मुखी रुद्राक्ष मंत्र:
९ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है:
“ॐ ह्रीं हूँ नमः”
९ मुखी रुद्राक्ष को आप पूर्णिमा, संक्रांति या फिर ग्रहण के दिन बाए हाँथ पर धारण कर सकते है।
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जय महाकाल।।