पाँच मुखी रुद्राक्ष (5 Mukhi Rudraksha- Amazing Benefits, Importance and Mantra) के महत्त्व, लाभ और धारण मन्त्र)

पंचमुखी रुद्राक्ष (Panch / 5 Mukhi Rudraksha) सबसे ज्यादा मिलने वाला रुद्राक्ष है, पंचमुखी (FIve Faced) रुद्राक्ष में भगवान शिव की सभी शक्तियां समाहित होती है। इस धरा के पंच तत्व और पांच पांडव इस रुद्राक्ष के देव माने गए हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने से वर्जित कार्यो द्वारा उत्प्पन्न पापो से मुक्ति दिलाता है। इस रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह गुरु होता है। मान्यता अनुसार इस रुद्राक्ष के कम से कम तीन दाने धारण अवश्य करने चाहिए। इस रुद्राक्ष को धारण करने से दिमागी शांति, सुकून और प्रसिद्धि दिलाने में सहायक होता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष के महत्त्व (5 Mukhi Rudraksha Importance):  

  • पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जागरूकता बढ़ती है।
  • इसे धारण करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ा कर यादाश्त को बढ़ाता है। 
  • धारक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति करता है और पापो से मुक्ति दिलाता है।
  • पांच मुखी रुद्राक्ष धारक को मान सम्मान और धन की प्राप्ति कराता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष के लाभ (5 Mukhi Rudraksha Benefits):

  • बृहस्पति ग्रह  के बुरे प्रभाव को कम करता है।
  • बृहस्पति के बुरे प्रभाव के कारण आ रही गरीबी को दूर करता है।
  • सद्भाव की कमी को दूर करता है।
  • इस रुद्राक्ष को धारण करने से वर्जित कार्यों द्वारा उत्पन्न पापों से मुक्ति मिलती है।
  • पांच मुखी रुद्राक्ष अच्छा ध्यान लाने में मदद करता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष के चिकित्स्कीय लाभ (5 Mukhi Rudraksha Medical Benefits):

  • जिगर और जांघों की परेशानियों से मुक्त करता है।
  • हृदय की समस्याएं ठीक हो जाती हैं। 
  • ऐसे मामलों में अनुशंसित जहां रक्तचाप की बीमारी, स्तन रोग, मेमोरी बढ़ाने, अम्लता, सूजन आदि अस्तित्व में है वहां फायदा पहुंचाता है।
  • उच्च रक्तचाप घटाने में मदद करता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष – चक्र से सम्बन्ध:( Chakra associated with 5 Mukhi Rudraksha)

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पांचवां चक्र या आप विशुद्ध चक्र (Vishuddhi/Throat) कह सकते हैं जो पंच मुखी रुद्राक्ष से जुड़ा है।

पंच मुखी रुद्राक्ष चक्र को कैसे ठीक करता है और संतुलित करता है?

जैसा कि ऊपर आपने पढ़ा पंच मुखी रुद्राक्ष प्रकृति के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए ऐसा माना जाता है कि यह हमारे शरीर में पांच तत्वों को संतुलित करता है और विशेष चक्रों को बनाए रखता है जो इस प्रकार हैं: –

विशुद्ध चक्र जिसे कंठ चक्र के नाम से जाना जाता है

गला चक्र हमारे शरीर में अंतरिक्ष के तत्वों से संबंधित है और पंच मुखी रुद्राक्ष अंतरिक्ष तत्वों को संतुलित करता है इसलिए यह संचार, आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को बेहतर बनाने में मदद करता है।

मूलाधार चक्र जो की रूट चक्र के नाम से जाना जाता है

मूलाधार चक्र या जड़ चक्र पृथ्वी तत्व है और चूंकि रुद्राक्ष पृथ्वी तत्वों को संतुलित करता है, इसलिए यह पहनने वाले को शरीर और स्थिरता और सुरक्षा को महसूस करने में मदद करता है।

स्वाधिष्ठान चक्र जिसे त्रिक चक्र के रूप में जाना जाता है

यह पानी के तत्व से संबंधित है जिसे पंच मुखी रुद्राक्ष द्वारा संतुलित माना जाता है, इसलिए यह आपकी रचनात्मकता, कामुकता और भावनात्मक संतुलन को बेहतर बनाने में आपकी मदद करेगा।

मणिपुर चक्र जो की सोलर प्लेक्सस चक्र के रूप में जाना जाता है

मणिपुर चक्र अग्नि तत्व से संबंधित है और यह पंच मुखी रुद्राक्ष द्वारा भी संतुलित है, इसलिए यह आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और व्यक्तिगत शक्ति में सुधार करने में मदद करेगा।

अनाहत चक्र जिसे ह्रदय चक्र के नाम से जाना जाता है

ह्रदय चक्र वायु तत्वों से संबंधित है जो हमारे शरीर के तत्वों में से एक है और यह माना जाता है कि यह पंच मुखी रुद्राक्ष द्वारा संतुलित है और इसलिए यह पहनने वाले के जीवन में करुणा, प्रेम और भावनात्मक संतुलन में सुधार करेगा।

राशि विशेष: (5 Mukhi Rudraksha should be worn by which zodiac sign?)

धनु (Sagittarius/Dhanu) और मीन (Meen/Pisces) राशि वाले जातको के लिए ये रुद्राक्ष विशेष रूप से उत्तम माना जाता है।

पाँच मुखी रुद्राक्ष के मन्त्र: (5 Mukhi Rudraksha Mantra to recite)

५ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र है: “ॐ ह्रीं नमः”

Author – Amit Pradhan

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